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लिंबू मिरची किताब विवेक अग्रवाल की लेखकीय दृष्टि का अलग पहलू पेश कर रही है। सत्य अपराध साहित्य को लेखनी से समृद्ध करते आ रहे विवेक अग्रवाल ने अन्य विधाओं में भी काम किया है। उनका पहला लघुकथा संग्रह लिंबू मिरची है। यह किताब न जाने कितने विषयों और किरदारों के साथ हाजिरी लगाती है।
विवेक अग्रवाल ने इन लघु कथाओं में न केवल विषयों का विस्तार तथा विविधता बनाए रखे हैं बल्कि किरदारों का अनूठा संसार भी गढ़ा है। वे कहानियां लिखते हुए सामाजिक बुराईयों पर गहरा प्रहार करते हैं। कुछ ऐसे बिंदु भी उठा लाए हैं, जो समाज को नई दशा और दिशा देते हैं। इन कहानियों में समय साथ-साथ चलता है।
समाज से उठाए विषय पर लघु कथाएं लिंबू मिरची में हैं। ये छोटी कहानियां मन में टीस भरती हैं। आंखों के कोर गिले करती हैं। कसमसाती हैं। दुखी करती हैं। कभी गुदगुदाती, हंसाती भी हैं।
हर कहानी का अपना व्यक्तित्व है क्योंकि हर लघुकथा अलग विषय, स्थान, वक्त, भाव, पात्र धारण करती है। किसी में इंसानी फितूर है, तो किसी में लालच की पराकाष्ठा है। किसी में समाज की बुराइयों पर कठोर टिप्पणी है, तो किसी रचना में सहज भाव से व्यंग्य चला आया है। ये लघुकथाएं समाज का आईना हैं।
मंत्री जी का मोहल्ला में एक साल में हुए 52 दंगों और 52 घरों की खरीद-फरोख्त के जरिए महालालची और स्वार्थी हुक्मरान का खलचरित्र उधेड़ कर रखती है।
बज्जू की शवयात्रा में जनता के सेवक कैसे जनता के तानाशाही हुक्मरान बन बैठे हैं, पूरी शिद्दत से प्रकट होता है। निकम्मा ऐसे बेटे की कहानी है, जो अपनी आवारगी से मिसाल कायम करता है। किसान सम्मेलन वर्तमान की कठोर सच्चाई है, जिसमें ऊंच-नीच की गहरी खाई साफ नजर आती है।
आंखवाला अंधा सिर्फ पढ़ने ही नहीं बल्कि देखने में भी आएगी क्योंकि यह कहानी बतौर शार्ट फिल्म भी उपलब्ध है। कस्टडी परिवारों के बिगड़ने और अदालती खामियों को उजागर करती है। लड्डू ठेका में धर्मस्थलों के भ्रष्टाचारी अड्डे बनने की सच्चाई है।
फ्लाईओवर का नामकरण ऐसी मजेदार व्यंग्यात्मक टिप्पणी है जिसमें एक ही फ्लाईओवर के दो नाम कैसे और क्यों पड़े। गोल्डन गिन्नी कोरोना काल में चिकित्सा सेवा क्षेत्र के चिकित्सा लूट क्षेत्र में परिवर्तित होने की दास्तान है।
लिंबू मिरची भारतीय विकृत मानसिकता और अंधविश्वास पर करारा प्रहार करती है। पिटते भगवान समाज से उपजा व्यंग्य है। जूतों की रक्षा में वीआईपी कल्चर और मानसिकता पर प्रहार है। खरीदी हुई दुल्हन समाज की कड़वी विसंगति पर प्रहार करती है। जूठन फेंकते देश पर कठोर टिप्पणी है।
पद्मश्री हासिल होना हिंदी के एक लेखक के लिए कितना दुखदाई है, इस कहानी में परिलक्षित होता है। बिजनेस आइडिया कैसे-कैसे होते हैं, ये भी जानिए।